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घरेलू हिंसा
जब भी समाज में अथवा मीडिया में घरेलू हिंसा की चर्चा होती है तो केवल शारीरिक हिंसा या प्रतारणा पर ही चर्चा होती है और वही हमारे बहस का विषय रहता है ,
किन्तु एक प्रकार की हिंसा समाज में और होती है और जिसकी चर्चा शायद ही कभी होती है , वो है मानसिक हिंसा जिसका रूप अधिकतर रहस्यमय ही रहता है .
इस प्रकार की हिंसा किसी के द्वारा किसी की भी हो सकती है . इसका शिकार मानसिक अवसाद से ग्रस्त हो सकता है और कई अवसरों पर ये शारीरिक हिंसा में भी
परिवर्तित हो सकती है .
मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार इसका एकमात्र कारण आपसी विश्वास की कमी है . परिवार का यदि एक भी सदस्य इस अविश्वास के रोग का शिकार हो जाता है तो घर के प्रत्येक
सदस्य के बारे में उसकी धारणा बदल जाती है और धीरे धीरे घर के बाकी सदस्यों की भी धारणा उसके विपरीत हो जाती है और उसके बाद घर के प्रत्येक कार्य में उदासीनता
प्रकट होती है और घर का पतन शुरू हो जाता है .
इसलिए ये आवश्यक है कि आपसी विश्वास को बनाये रखने के लिए सारे सदस्य आपस में बात करते रहे और घर के बाहर के व्यक्ति से किसी भी चर्चा न करे जिससे परिवार
की गरिमा समाज में बनी रहे .
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