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पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी के शासन काल में जब मूल्य वर्धित कर प्रणाली (वैट) लगाने के लिए सरकार ने अध्यादेश जारी किया था तो सरकार ने ये भी साफ़ किया था कि सरकार कागज़ का खर्च कम कर अधिक से अधिक कार्य नेट और अपनी खुद के वेबसाइट पर करेगी तथा अधिकारी और व्यापारी नेट पर ही अपनी जानकारी और मासिक विवरण दाखिल कर के पर ही एक रसीद प्राप्त कर के अपने फाइल में सुरक्षित कर लेंगे , जिससे व्यापारी को कार्यालय में नहीं आना पड़ेगा . सरकार ने यहाँ तक आश्वासन दिया था कि व्यापारी के डिटेल देख कर ऑफिस से ही केस का निर्धारण कर के आदेश को उसके टिन नंबर के साथ संकलित कर दिया जायेगा और वह सरकारी वेबसाइट पर अपना टिन भर कर आदेश को पढ़ सकता है .
किन्तु बड़े ही अफ़सोस के साथ सारे व्यापारियों का कहना है कि , वाणिज्य कर विभाग ने सिवाय परेशान करने के और कोई अच्छा काम नहीं किया . व्यापारियों को रोज़ नए नोटिस भेज दिए जाते है .सारे रिटर्न्स की प्रिंटेड कॉपी मंगाई जाती है ,और उनकी रसीद के नाम पर जबरदस्त वसूली होती है फिर भी विभाग ये सुनिश्चित नहीं कर सकता है कि व्यापारी के रिटर्न उसकी फाइल में ही जायेंगे या चूहों के पेट में जायेंगे . वर्ष के ही अंत में व्यापारी को ही दंड स्वरुप अपने स्रोतों से ही रिटर्न की कॉपी और खातापालक को और दक्षिणा दे कर अपना काम करवाना पड़ता है .
जिस विभाग में व्यापारी को कभी कभी आना चाहिए , वहाँ उसे रोज़ ही आना पड़ता है और किसी न किसी अफसर ,कर्मचारी या अधिवक्ता के सामने बैठ कर
अपना काम करवाना पड़ता है ..
मेरे ऊपर कही गयी बातों से हो सकता है कुछ लोग बेचैन हो जाये परन्तु ये भी सही है कि सारे व्यापारी हमारी बातों से सहमत होंगे और सरकार से ये प्रार्थना करेंगे कि वैट लागू होने से पहले के आश्वासन को आकार दे कर व्यापारियों को राहत देंगे और कम कागज़ प्रयोग कर के ज्यादा से ज्यादा वृक्ष बचाएंगे.
प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा के साथ धन्यवाद
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