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ब्रिटिश सरकार ने जब पहली बार सड़कों का निर्माण किया, तब सीमेंट का प्रयोग किया और सड़कों ने शहरों का व समाज का पूरा साथ दिया, समय का पूरा बचत करने में सहयोग किया. परन्तु स्वतंत्रता के बाद सरकार ने धीरे-धीरे सड़कों को कोलतार से बनाना शुरू किया, बिना ये जाने कि कोलतार बारिश के पानी के साथ प्रक्रिया करके टूट जाता है और सड़क बहुत खराब हालात में पहुँच जाती है.
सारे गोरखपुर में भी पहले सीमेंट से बनी सड़कें थीं, तब सड़कों की जीवन रेखा बहुत अच्छी थी. परन्तु सीमेंट की सड़कें तोड़कर तारकोल की बनायी गयी और सारी सड़कों का जीवन २० साल से घटकर २ साल ही रह गया. अब सड़कों पर भीड़ भी बढ़कर कई गुना हो गयी. सड़के २ वर्ष के स्थान पर एक वर्ष में ही ध्वस्त होने लगीं.
इस महान कार्य में हम नागरिकों का भी अद्भुत योगदान है, सभी लोग अपने घर के सामने नल इत्यादि का कार्य तभी करवाते हैं, जब सड़क पूरी तरह बनकर तैयार हो जाती है और फिर उस गड्ढे को भी भरने की याद किसी को नहीं आती है. अभी २ दिन पहले ही शक्तिनगर, बशारतपुर में एक सज्जन ने सड़क खोदवाकर पाइप डलवाया और गड्ढे को भी भरवाया. परन्तु जैसा कि ऐसे अवसरों पर साधारणतया होता है कि सड़क को भली-भांति बराबर भी नहीं किया गया और सड़क पर एक स्थायी गढ्ढा हो गया है. मैं उस सड़क पर प्रतिदिन दो बार या तीन बार जाता हूँ. हर बार मेरी बाइक या कार का पहिया उस गढ्ढे में अटकता है.
बशारतपुर या किसी भी इलाके में नालियों, सड़कों या गलियों और नालियों का जोड़ सही नहीं है. प्रतिदिन कोई न कोई वाहन इन जोड़ों पर बने गड्ढों में फंसता है और क्षतिग्रस्त होता है. नगर के सभी आदरणीय पार्षदों का पांच वर्ष का कार्यकाल समाप्त हो गया है, परन्तु गलियां और उनके जोड़ यथावत हैं. वो शायद अगले कार्यकाल के लिए निलंबित कर दिया गया है कि नए ठेके आएंगे और नए ढंग से कार्य करवाकर नया कमीशन खाएंगे.
नागरिकों से अनुरोध है कि कोई व्यक्तिगत कार्य करवाएं तो अपनी तरफ से उसको पूरा भी करवा दें, जिससे कम से कम वहां के लोग तो सुविधापूर्वक आ जा सकें. जो जोड़ खराब हो उनको निवर्तमान या संभावित पार्षद को पकड़कर ठीक करवा लें. गलियां और नालियों के जोड़ की पूरी जिम्मेदारी नगर निगम सदस्यों की है और उन मार्गों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी नागरिकों को उठानी होगी, तभी समय बचेगा और शहर आगे बढ़ेगा.
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