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भारतीय ट्रक ड्राइवर और वातानुकूलित केबिन

ashwini j
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टीवी पर एक समाचार कार्यक्रम देखा और उसमे सब बातों के अलावा एक जो महत्वपूर्ण जानकारी मिली कि सड़क परिवहन मंत्रालय ने निर्णय लिया कि भविष्य में बनने वाले ट्रक्स में केबिन में वातानुकूलन होना आवश्यक है और यदि न हो सके तो कम से कम बेहतर वायु संचरण प्रणाली हो. इसके साथ ही चैनल ने अमेरिका के ट्रक ड्राइवर्स के अति व्यवस्थित और सुगम कार्य प्रणाली पर भी प्रकाश डाला और काम के घण्टों पर भी चर्चा हुई.


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परन्तु चैनल ने मुख्य समस्या या दूसरे शब्दों में कहा जाये तो अमेरिका के बेहतरीन सड़क व्यवस्था पर प्रकाश नहीं डाला कि वहाँ की सड़के कितनी सुरक्षित और बाधाओं से रहित है . वहाँ पर राज्य सीमाओं के अतिरिक्त कोई पूछताछ के लिए वहाँ नहीं रोके जाते है और पुलिस भी सुरक्षा और सहायता में ही तल्लीन रहती है.


इसके विपरीत यहाँ भारत की सड़क व्यवस्था कुछ विशेष मार्गों के अतिरिक्त बहुत ही दयनीय है . किस रास्ते में कितने पुल है और उसमे से कितने भ्रष्टाचार के मुख में चले गए है उसकी कोई सूचना व्यवस्था भी नहीं है.दुर्घटना के समय पर भी पुलिस और व्यवस्था ड्राइवर से ही ज्यादा पूछताछ और ज्यादा प्रताड़ना ट्रक ड्राइवर की ही होती है क्योंकि सब मान कर चलते है कि सारी गलती ट्रक ड्राइवर की ही होगी.


किसी भी विपदा या आपदा के समय भी ट्रक ड्राइवर और ट्रक ही सबसे अधिक काम आते है और सबसे ज्यादा बाधा और समस्यांए भी उन्ही के रास्ते में खड़ी की जाती है . ट्रक बाई पास पर हो या शहर में हो सारी परेशानियां उसी के हिस्से में आती है . वो तो भला हो ढाबे वालों का जो ट्रक ड्राइवर्स को विश्राम , भोजन के अतिरिक्त बहुत सारी सुविधाएँ मुफ्त में उपलब्ध कराते है और उनसे हँस बोल कर उनका मन हल्का कर देते है और किसी भी मौसम और मौके पर उनकी सेवा में तत्पर रहते हैं. अधिकतर ढाबे वाले हर तरह की सर्विस की भी वयवस्था रखते है परन्तु इस सारी व्यवस्था में सरकार का कोई योगदान नहीं है.


सरकार को कुछ व्यवस्थाएं करनी चाहिए , भले ही ट्रक में वातानुकूलन लगे या न लगे परन्तु निम्न लिखित सुविधाएँ हो जाए तो उनकी जिंदगी आसान हो जाएगी.


१- सड़क परिवहन व्यवस्था सुधर जाए , सभी मार्गों को नियमित रूप से मरम्मत होती रहे, सारे मार्गो पर प्रकाश व्यवस्था, जल व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ हो.


२-सारे बड़े पुलों और छोटे पुलियों की नियमित निगरानी हो जिससे उनकी बची हुई अवस्था की जानकारी कर के समयानुकूल मरम्मत या नया निर्माण हो सके.


३- राष्ट्रीय राजमार्गों और प्रांतीय राजमार्गों के अतिरिक्त छोटे और ग्रामीण मार्गों की भी नियमित निरीक्षण और मरम्मत की व्यवस्था होती रहे और उन पर अतिक्रमण का निरंतर उन्मूलन होता रहे जिससे ट्रक वाले बिना किसी बाधा के ग्रामीण क्षेत्रों से भी सुरक्षित बाहर निकलते रहे. क्योंकि अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में ही ग्रामीणों की लापरवाही से दुर्घटना होती है और ट्रक वालों को भरपाई करनी पड़ती है और पुलिस भी उसमे अपना हिस्सा ढूंढ़ती है साथ ही साथ उनमे रखे माल की भी लूट होती है.


४-उनके लिए सभी मार्गों और राष्ट्रीय राजमार्गो पर नियत स्थानों पर मरम्मत, विश्राम और नहाने और भोजन की व्यवस्था हो.


५- मौसम के कारण जो राजमार्ग और राष्ट्रीय राजमार्ग अस्थायी रूप से कई दिनों के लिए बंद हो जाते है उनके तत्काल खुलने की व्यवस्था हो, जिससे उसमे रखा माल विशेष तौर पर फल और सब्जियां समय पर गंतव्य पर पहुंच सके.


६- ट्रक वालों के लिए सबसे दुखदायी विभाग है, सेल्स टैक्स और पुलिस जो कहीं भी उनको अकारण परेशान करते हैं और कई कई दिन तक उनको खड़ा कर के मालिकों से उगाही करते है. इस काल में ड्राइवर अपने भाग्य को कोसता हुआ वही सड़क पर खाता और सोता है.


इतनी मामूली सुविधाएँ भी यदि ट्रक वालों को उपलब्ध करा दी जायें तो उनकी ज़िंदगी वैसे भी आसान हो जाएगी और वो अपने हवा और पानी और वातानुकूलन की व्यवस्था भी स्वयं कर लेगा और शांतिपूर्वक समय से अपना दायित्व निभाएगा और प्रसन्न रहेगा और परिवार को भी प्रसन्न रख सकेगा और सकल राष्ट्रीय उत्पादन में सक्रिय सहयोग तो वो करता ही है वो और बढ़ जायेगा.

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